गज़ल

 

गज़ल


अरथी जब मुहब्बत की निकले मेरी,
भूल से उस जनाज़े में जाना नहीं |
याद रखना सबक अबसे मेरा,
किसी मासूम का दिल दु:खाना नहीं |
अरथी जब............. याद रखना...........

ऐ बेवफा तुम क्या जानो,
मुहब्बत का सितम |
आँसुओं से कभी भी ये पलता नहीं |
दिल का दामन हो जिसका धब्बों से भरा,
उसका चेहरा शीशे में झलकता नहीं |

तोड़ दे बेवफाई का ये सिलसिला,
अब दुबारा कभी दिल लगाना नहीं |

अरथी जब............. याद रखना...........

ऐ हसीना, तेरा हुस्न है एक मशाल,
जिसमें जलते दिलों के धुएँ उठ रहे|
बनती मासूम जितनी, तू उतनी नहीं,
गेसुओं में तेरे आके हम लुट गए |

अब छुपाकर ये चेहरा, जाएगी कहाँ ?
तेरी किस्मत में जन्नत का आना नहीं |

अरथी जब............. याद रखना...........

Tags

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.