बिजलियों को चमकने दो, तितलियों को थिरकने दो |
शाम-ऐ-गम की तन्हाई में, पैमाना छलकने दो |
बिजलियों को..........................
जो रात काली – काली, घिरी है घटाओं से |
बिखरी है खुशबू फूल की, गुलशन में, फिजाओं में |
बनके बहार आए, बगिया को महकने दो |
बिजलियों को..........................
सावन का सुहाना मौसम, नभ में घटा छा जाए |
बादल में बिजुरी कड़के, मेरी बाँहों में तुम आ जाए |
बाँहों में समां जाना, बदरा को बरसने दो |
बिजलियों को..........................
ऋतु बसंत की आए, खुशबू से फिजाँ महकाए |
घूँघट में कली छुपके, जब हौले से ही मुस्काए |
दीदार मुझे करने दो, घूँघट को सरकने दो |
बिजलियों को..........................
Aapki rachnaayen dil ko chu jaati hain.
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