बेटियाँ




बेटियाँ

बेटियाँ भी करीब होती है,
अपने अपने पिता के।
पर वह बेटा भी खुशनसीब है,
जिसके पिताजी साथ हैं।

माँ की तुलना और किसी से,
कभी नहीं की जा सकती।
कोई गम कभी पास न आती,
जब सर पे पिता का हाथ है।

कष्ट कोई होता है पिता को,
बेटी, पहले व्याकुल हो जाती है।
पिता के चेहरे पर मुस्कान,
जब वापस आ जाती है।
अंतर्मन खिल उठता उसका,
और वह फूलों सी खिल जाती है।

बड़े जतन से दामन में छुपा,
बेटी को रखा जाता है।
एक दिन एक परदेशी आकर,
उसका हाथ थाम ले जाता है।

मुख से बोल निकलता न कोई,
न आँखों में आँसू, सूख ही पाते हैं।
क्या कुदरत का खेल है यह,
या जन्मों जन्मों के नाते हैं।

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