बचपन के दिन

बचपन की याद दिलाते 10 देसी खेल, जिनसे ...

                        बचपन के दिन

कभी गगन मेंकभी चमन में।
आओ खेलें मिलकर हम-तुम,
अपने घर के खुले आँगन में।

 
सर्दी के दिन में जब कभी,
धूप गगन में खिल जाता।
मन आह्लादित होता मेरा,
रोम-रोम पुलकित होता।
वह क्षण लौट नहीं सकता,
गुजर चुका जो बचपन में।
 
सैर सुबह की नदी किनारे,
ओस से भींगी घासों पर।
बालसखा संग मिलकर हम,
मस्ती करते थे घाटों पर।
आनंद हमें मिलता था तब,
अपनी माँ के ही दामन में।
 
जब कोयल की मधुर कूक,
अमृत रस घोलती कानों में।
खिल उठता तब चंचल मन,
हम खो जाते उनके तानों में।
ख़ुशी बड़ा होता था, नकल
करते थे हम अल्हड़पन में।
 
दोपहर के ढ़लते ही दिन में,
हम घूमा करते हर बागों में।
कभी फूलों की फुलवारी में,
कभी आमों के उन बागों में।
कभी पेड़ के पके फलों को,
पाने की आशा होती मन में।
 
शाम समय जब घने बाग़ में,
चिड़ियों के कलरव सुनते थे।
उन्मुक्त हो जीवन के हर क्षण,
मन ही मन में, हम बुनते थे।
आए न कोई गम पास कभी,
हे प्रभु! कभी इस जीवन में।


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