ऐ माँ ! तेरा यह उजला आँचल,
हर बाधा, मेरी दूर भागाती है |
जितना ही मुझसे दूर है तू,
उतना तेरी याद सताती है |
यह माँ का वह शुभ्र आँचल,
जिसकी दासी शीतलता है |
सारा संसार समा ले फिर भी,
कायम इसकी निर्मलता है |
जीवन निष्कंटक हो छाया में,
विपदा कभी पास न आती है |
ऐ माँ ! तेरा यह उजला आँचल,
हर बाधा, मेरी दूर भागाती है |
सावन की अपनी ही हस्ती होती,
हरीतिमा में जिसकी मस्ती होती |
क्या तुलना उसका आँचल से,
जिसमें माँ की ममता बसती होती |
बादल भी बरसे पर भींगे नहीं,
आँचल ही जिसकी थाती है |
ऐ माँ ! तेरा यह उजला आँचल,
हर बाधा, मेरी दूर भागाती है |
Do leave your comment.