गीत

 

गीत


तेरी सूनी-सूनी अंखियों में,मेरा अक्स उभरता है
जब तक देख लूँ मैं तुमको, दिल आहें भरता है

खामोश निगाह तेरी, अब तक क्या ढूँढ़ रही?
दिल की धड़कन तेरीखुद से कुछ पूछ रही
वह कौन घड़ी आया है, दिल धक-धक करता है

बरसात बिना बदरा, नभ में जो घुमरती रही
भँवरे की गुंजन सुन, वह फूल भी डरती रही
कहीं लौट जाए वह, उस पर दिल ये मरता है

घनघोर घटा छाए, बिजुरी भी कड़क जाए
पिया बिन अबला के, मन भी धड़क जाए
जैसे ही फुहाड़ बूँदों की नभ से, धरा उतरता है

कारे कजरारे नयन, मद-मोह में जकड़ा है
एक सुंदर-सुघड़ नारी, दामन से पकड़ा है
दामन की खुशबू हमें, अपने ही वश में करता है

जग प्यार बिना सूना ही, नहीं रहने सकता है
प्यार मिले बदले में, तब दिल ये दु:खता है
अपनों से पराया भले हैं, जो नफरत ही करता है
 


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