जय शिव-शंकर, हे अभ्यंकर।सुन लो मेरी पुकार।सातों जनम की बिगड़ी बनाने,आया मैं तेरे द्वार।तेरा दरबार अनूठा, बाँकी संसार है
झूठा। जय शिव-शंकर .................... दुखियों के दुख दूर करे तू,अब दुःख हरो हमारे-२।झोली खाली लाया हूँ मैं, भर दो अब सुख सारे।तेरी महिमा कोई न जाने,कर दे बेड़ा पार। तेरा दरबार अनूठा, बाँकी संसार है
झूठा।जय शिव-शंकर ................... पर्वत-पर्वत गली-गली,ढ़ूँढ़ूँ मैं तेरा ठिकाना-२।तेरा रस्ता सदा बहारूँ, जहाँ हो आना-जाना।जग के स्वामी, अंतर्यामी,कर दे तू उद्धार। तेरा दरबार अनूठा, बाँकी संसार है
झूठा।जय शिव-शंकर.....................
तेरा दरबार अनूठा, बाँकी संसार है
झूठा।
झोली खाली लाया हूँ मैं,
तेरा रस्ता सदा बहारूँ,
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