भजन



जय शिव-शंकर, हे अभ्यंकर।
सुन लो मेरी पुकार।
सातों जनम की बिगड़ी बनाने,
आया मैं तेरे द्वार।
तेरा दरबार अनूठा, बाँकी संसार है झूठा।
जय शिव-शंकर ....................
 
दुखियों के दुख दूर करे तू,
अब दुःख हरो हमारे-२।
झोली खाली लाया हूँ मैं,
भर दो अब सुख सारे।
तेरी महिमा कोई न जाने,
कर दे बेड़ा पार।
 
तेरा दरबार अनूठा, बाँकी संसार है झूठा।
जय शिव-शंकर ...................
 
पर्वत-पर्वत गली-गली,
ढ़ूँढ़ूँ मैं तेरा ठिकाना-२।
तेरा रस्ता सदा बहारूँ,
जहाँ हो आना-जाना।
जग के स्वामी, अंतर्यामी,
कर दे तू उद्धार।
 
तेरा दरबार अनूठा, बाँकी संसार है झूठा।
जय शिव-शंकर.....................


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