पातर कमर पर, फूटी गेलई गागर,
आँचर में, छुपि गेल संसारक सागर |
भींज गेल आँचर, जे फूटी गेल गागर,
आँचर में, छुपि गेल संसारक सागर |
घर स बहार भेलहुँ, संग लय घट के,
सखिया ठिठोली, कयलनि पनघट पे |
रहिया में भेट गेलाह, नटवर - नागर
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आँचर में, छुपि गेल संसारक सागर |
तजिक जे लोक–लाज, चारि भेल नयना,
भ गेल ठारे–ठारे, दिन स ई रैना |
बेसुध नैना स, निसरि गेल काजर |
आँचर में, छुपि गेल संसारक सागर |
चेतन हमर, घूरि गेलाह झकझोरी स |
लगलहुं मिलय, चुप-चाप चोरी-चोरी स
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एक दिन खनकि गेल, पैर के झांझर |
आँचर में, छुपि गेल संसारक सागर |
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