
कुदरत क्या – क्या खेल दिखाता है ?
तुम जानो न हम |
तुम जानो न हम, भाई रे
तुम जानो न हम |
कुदरत क्या – क्या खेल ...................
लाख जतन कर ले कोई पर,
मनचाहा न मिलता |
फूल कभी सूखी टहनी पर,
अनचाहा ही खिलता |
कुदरत क्या – क्या खेल ...................
कभी घटाएं घिरकर नभ में,
बिन बरसे उड़ जाता |
कभी गगन में धूप खिला हो,
मेघ बरस कर जाता |
कुदरत क्या – क्या खेल ...................
तन सुन्दर या सुन्दर काया,
काम कोई न आता |
मीठे बोल वचन प्राणी के,
नाम अमर कर जाता |
कुदरत क्या – क्या खेल ...................
धन दौलत कभी पास तुम्हारे,
कभी हमारे रहता |
खुली पलक में साथ निभाता,
बंद पलक खो जाता |
कुदरत क्या – क्या खेल ...................
मौत ही एक हकीकत है जो,
भेद कोई न करता |
राजा हो या रंक सभी के,
हार गले का बनता |
कुदरत क्या – क्या खेल ...................
कोई ऐसा काम करो कि,
याद करे हर कोई |
अंत समय जाते हुए जब,
आँख सभी के रोई |
समझो जीवन का फल,
मिल गया है न ज्यादा न कम |
कुदरत क्या – क्या खेल ...................
कुदरत क्या – क्या खेल दिखाता है,
तुम जानो न हम |
तुम जानो न हम, भाई रे
तुम जानो न हम |
कुदरत क्या – क्या खेल ...................
तुम जानो न हम, भाई रे
तुम जानो न हम |
कुदरत क्या – क्या खेल ...................
मनचाहा न मिलता |
फूल कभी सूखी टहनी पर,
अनचाहा ही खिलता |
कुदरत क्या – क्या खेल ...................
बिन बरसे उड़ जाता |
कभी गगन में धूप खिला हो,
मेघ बरस कर जाता |
कुदरत क्या – क्या खेल ...................
काम कोई न आता |
मीठे बोल वचन प्राणी के,
नाम अमर कर जाता |
कुदरत क्या – क्या खेल ...................
कभी हमारे रहता |
खुली पलक में साथ निभाता,
बंद पलक खो जाता |
कुदरत क्या – क्या खेल ...................
भेद कोई न करता |
राजा हो या रंक सभी के,
हार गले का बनता |
कुदरत क्या – क्या खेल ...................
याद करे हर कोई |
अंत समय जाते हुए जब,
आँख सभी के रोई |
समझो जीवन का फल,
मिल गया है न ज्यादा न कम |
कुदरत क्या – क्या खेल ...................
तुम जानो न हम |
तुम जानो न हम, भाई रे
तुम जानो न हम |
कुदरत क्या – क्या खेल ...................
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