सूरज क्या ढल जाता है?

 

सूरज क्या ढल जाता है?


सुबह सवेरे उठते ही जब,
सूरज हमें दिख जाता है।
खुश होकर हम कहते हैं,
देखो सूरज उग आया है।

 क्या यह उतना ही सच है,
जितना हम देखने पाते हैं?
सूरज न कभी ही डूबता है,
और न ही वे उग आते हैं।
 
दूर गगन में अचल खड़ा है,
सदा खड़ा उसे ही रहना है।
उसके तेज किरणों के आगे,
नतमस्तक होकर रहना है।
 
जैसे सूरज नभ में स्थिर है,
वैसे अविचल रहना सीखो।
मर्यादा हो सागर के समान,
सीमा में रह, बहना सीखो।
 
परिक्रमा करती है यह धरती,
वह दिन और रात बनाती हैं।
सूरज जो सदा स्थिर रहते हैं,
वह खुद ही चक्कर खाती हैं।
 
सारांश बड़ा स्पष्ट है ये कि,
सूरज न कभी ढल पाता है।
यूँ ही सदा स्थिर रहता जो,
फिर उसको कौन डुबाता है?

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