तुम्हारे दिल में दबी है नफरत,
अभी मुहब्बत नहीं हुई है।
ये प्यार करने की उम्र है पर,
तुम्हारी आदत नहीं हुई है।
नहीं चुराओ निगाह मुझसे,
मेरी निगाहें उठी नहीं है।
अभी जरूरत है मुझको तेरी,
तेरी इनायत नहीं हुई है।
कभी अचानक मिले थे हम,
तब निगाह तुमने भी फेर ली थी।
किया यकीं जो सदा ही तुम पर,
कोई शिकायत नहीं हुई है।
न साथ जीना, न साथ मरना,
कभी कसम जो न लेंगे अब हम।
अभी मुझे तो है प्यार करना,
कोई शरारत नहीं हुई है।
तुम्हारी बातें जो मीठी होती,
मगर मुझे नहीं मुफीद लगता।
मेरी तो सहमति रही न तुमसे,
कभी बगावत नहीं हुई है।
जवान तुम और जवान हम हैं,
उमर विरासत नहीं मिली है।
कभी तो एक दिन पड़ेगा जाना,
अभी इजाजत नहीं मिली है।
Do leave your comment.