मैथिली गीत

                                                    गुलदस्ता - जाने वाले इतना बता दो फिर ...

                                            

सबहक पिया परदेश गेलईन,
हमरे प्रियतम पास छई।
दिवस गँवई छथि बैसि क बालम,
जियरा हमर उदास छई।
सबहक पिया परदेश़.......
 
नमहर छई परिवार तेकर,
कनिको नई हुनका चिन्ता छई।
आमद के कोनो साधन नई,
मुदा खर्चा बढ़ल पचास छई।
सबहक पिया परदेश़.......
 
हम लबई छी कोन जतन स,
बैसिक खाबि रहल छथि ऊ।
कोनो पड़ोसी देता कतेक दिन,
लेब के नई जे आस छई।
सबहक पिया परदेश़.......
 
नीक-निकुत ला तंग करईत अछि,
दस-दस टा खरूआन जे छई।
जयता कतऊ जे कमाय- खटाय,
घुरि जायत दिन विश्वास छई।
सबहक पिया परदेश़.......
 
दूर-दूर, छी-छी होईत अछि,
शरम कनिको नई लागई छईन।
मुदा लगईन छई नीक ई हुनका,
बुद्धि भेल विनाश छई।
सबहक पिया परदेश़.......


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