कन्हैया किये चली गेलहुँ,
मथुरा गोकुल छोड़ी क।
लागल नेहा तोड़ी क ओ।
बिसरी गेलहुँ एतह के नर-नारी,
किया आंहाँ मदन मुरारी।
एक बेर घूरि क आऊ,
सब सुख दुःख के छोड़ी क।
लागल नेहा तोड़ी क ओ।
जुदाई आहां के सहि नहिं जाए,
विहवल मनमा भरि – भरि आए।
एक बेरी दरश दिखा जाऊ,
अरजी करई छी कर
जोरि क।
लागल नेहा तोड़ी क ओ।
Do leave your comment.