आँसू

आँसू


आँसू
  की बूँदे, जो अनायास,
आँखों से ढलक जब जाते हैं।
बहने दो उसे, रोको न कभी,
कुछ तो कहना वह चाहते हैं।

शायद कुछ दर्द छुपा रखा है
वर्षों से, तुमने अपने सीने में।
वह छलक पड़ा आँसू बनकर,
चैन मिलेगा, खुद के जीने में।

कामना नहीं, यह भावना है।
जो बन तरंग उठता दिल में।
जज्बात हिलोर लेकर आता,
कदम पड़े किसी, मंजिल में।

आँसू एक राज बता जाता है,
वह मानव, निष्ठुर न होता है।
जीवित चेतना शेष है उसकी,
कभी अपनापन न खोता है।

न तन को, न मन को भी,
आँसू  दुर्बल कभी कर पाता।
सच्चाई बयाँ वह कर जाता,
जन्मों का कोई वह नाता है।

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