हे
नारी! तू अबला नहीं है,
जग की
तू जगतारिणी है।
छू पाए यदि कष्ट कोई भी,
बन
जाती दु:खहारिणी है।
छू पाए यदि कष्ट कोई भी,
तेरा
हर त्याग समर्पण जो,
खुद के
लिए नहीं होता है।
स्वयं न्योछावर हो जाती है,
जब
अपना, कोई रोता है।
स्वयं न्योछावर हो जाती है,
तेरे
ही दम से तेरे घर में,
खुशहाली सदा छाई रहती।
जब मन से मुस्काती हो,
चेहरे
पर हरियाली रहती।
जब मन से मुस्काती हो,
तुम्हें
खुशी मिलती है जब,
तुम पर, प्यार बरसता हो।
खुशी नसीब उनको होती,
जो
तेरे दिल में रहता हो।
खुशी नसीब उनको होती,
तुम
धारित्रि, तुम धारिणी।
प्यार का प्रतिमान हो एक।
कर नहीं सकता कोई बयां?
तुझमें
छुपे गुण हैं अनेक।
प्यार का प्रतिमान हो एक।
कर नहीं सकता कोई बयां?
पर
तेरा वह रूप भयानक,
हमने
देखा जो पहली बार।
पर पीड़ा सह पाती नहीं हो,
जब
सामने होता अत्याचार।
पर पीड़ा सह पाती नहीं हो,
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