ख्वाबों की चाँद परी



ख्वाबों की चाँद परी

एक रात ख्वाबों में, देखा हमने
कोई चाँद परी, जमीं पर उतरी है
सुन्दर, मनमोहक रूप हैं उसके,
सूरत कितनी निखरी-निखरी है

 

बातों – बातों में, वह बता गई,

खुद को आँखों में रूला गई

अफ़सोस हुआ यूँ तब मुझको,

जब छोड़ जहाँ को फ़ना हुई

हर अदा निराली है उसकी,

बातों में उसकी जादूगरी है

एक रात ख्वाबों में, देखा हमने

कोई चाँद परी, जमीं पर उतरी है

 

अरमान सजाया ख्वाबों में,

महबूब बनेगी वह मेरी

एक रात भटकती रूह उसकी,

आकर यह मुझको जता गई,

मत पाल तू खुशफहमी नादाँ,

किसी और की वह, हो चली है

एक रात ख्वाबों में, देखा हमने

कोई चाँद परी, जमीं पर उतरी है

 

एक पर्दानशीं को, परदे में ही

रूप सजाते हमने देखा है

मन में हम मान ये बैठे हैं,

वह मेरे किस्मत की रेखा है

एक बुझते दीपक सा मन में,

उजालों की बाती, उसने भरी है

एक रात ख्वाबों में, देखा हमने

कोई चाँद परी, जमीं पर उतरी है




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