शिकवा
नहीं कि तुम्हें किसी ने थाम लिया है |
तेरे
मदभरी ओठों पर, खुद का नाम दिया है ||
मोहब्बत
में मिलन का होना ये दस्तूर नहीं है |
तुम
पराई हो जाओ ये हमें मंजूर नहीं है ||
तुम
सलामत रहो, मुझको यूँ ही जलने दो |
एक
चाहत जो है, उसे सीने में पलने दो ||
तुम्हें
दुःख जानकर होगा कि तुमसे प्यार करते हैं |
हकीकत
है यही की, अब भी तुझपर एतवार करते हैं ||
तुम्हारी
हर अदा पर, हमें मुस्कान आता है |
तेरी
जुल्फों के साए में मेरा विहान आता है ||
सजा दूं तेरी जुल्फों को, अगर तू पास आ जाए |
मुहब्बत
में हमें तुझपर यूँ दिलोंजान आता है ||
मेरा
वजूद तेरे साथ, साया बनकर रहती है |
तेरी
नखरे उठाकर, जुल्म सदा मुझपर वो करती है ||
मेरा
साया जो तेरे हुश्न का दीदार करती है |
कोई
हसीना भी साए से भला प्यार करती है ||
चाहत
तेरी कोई और है, तब छोड़ दो दामन मेरा |
गूँजने
दो उस भ्रमर को जिसे बंद कलियों में करा ||
अफ़सोस
न होगा कभी, क्यों पिंजरा यह उसने चुना |
कैद
जिसमें होने की,हसरत बस आखिरी शेष थी ||
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