हसीन शायरी

         

                                            

                                        
हसीन शायरी

                                            

शिकवा नहीं कि तुम्हें किसी ने थाम लिया है |
तेरे मदभरी ओठों पर, खुद का नाम दिया है ||
मोहब्बत में मिलन का होना ये दस्तूर नहीं है |
तुम पराई हो जाओ ये हमें मंजूर नहीं है ||


तुम सलामत रहो, मुझको यूँ ही जलने दो |
एक चाहत जो है, उसे सीने में पलने दो ||
तुम्हें दुःख जानकर होगा कि तुमसे प्यार करते हैं |
हकीकत है यही की, अब भी तुझपर एतवार करते हैं ||

तुम्हारी हर अदा पर, हमें मुस्कान आता है |
तेरी जुल्फों के साए में मेरा विहान आता है ||
सजा दूं तेरी जुल्फों को, अगर तू पास आ जाए |
मुहब्बत में हमें तुझपर यूँ दिलोंजान आता है ||


मेरा वजूद तेरे साथ, साया बनकर रहती है |
तेरी नखरे उठाकर, जुल्म सदा मुझपर वो करती है ||
मेरा साया जो तेरे हुश्न का दीदार करती है |
कोई हसीना भी साए से भला प्यार करती है ||


चाहत तेरी कोई और है, तब छोड़ दो दामन मेरा |
गूँजने दो उस भ्रमर को जिसे बंद कलियों में करा ||
अफ़सोस न होगा कभी, क्यों पिंजरा यह उसने चुना |
कैद जिसमें होने की,हसरत बस आखिरी शेष थी ||









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