समय पर मदद का मूल्य

समय पर मदद का मूल्य

 

चंद्रभूषण बाबू, जो एक समय में सरकारी नौकरी करते हुए अपने इलाके के प्रसिद्ध व्यक्ति माने जाते थे, अब अपने जीवन के अंतिम पड़ाव में थे। उन्होंने अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया था। सेवानिवृत्ति के बाद भी उन्होंने घर और खेती का काम संभालकर खुद को व्यस्त रखा। लेकिन समय का पहिया किसी के लिए नहीं रुकता। जैसे-जैसे उम्र बढ़ी, शरीर कमजोर होता गया। खेती-बाड़ी का काम रमेश ने संभाल लिया, जो खुद सरकारी सेवा में कार्यरत था।

रमेश ने अपने परिवार को जिम्मेदारी से आगे बढ़ाया। उसने अपनी बड़ी बेटी की शादी समय पर कर दी। लेकिन गीता, उसकी छोटी बेटी, घर में रह गई थी। गीता सिर्फ सुंदर ही नहीं, बल्कि हंसमुख और चंचल स्वभाव की भी थी। परंतु उसकी शादी के लिए उपयुक्त वर की तलाश पूरी नहीं हो सकी। इस बीच, घर के सबसे बुजुर्ग सदस्य चंद्रभूषण बाबू के लिए गीता एकमात्र सहारा बन गई।

गीता अपने दादाजी का ख्याल रखती। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। एक सुबह, जब गीता उनके पास पहुंची, तो उन्होंने हमेशा की तरह राम-नाम जपते हुए उन्हें नहीं पाया। वे इस संसार से विदा ले चुके थे। गीता के आंसू थम नहीं रहे थे। परिवार ने चंद्रभूषण बाबू की अंतिम यात्रा पूरी की।

समय बीतता गया, और एक दिन ऐसी घटना घटी जिसने सबको झकझोर दिया। गीता खाना परोस रही थी, तभी गलती से एक जलता हुआ लैंप गिर गया। उसके कपड़े आग की लपटों में घिर गए। गीता चीखते हुए मदद के लिए भागी। लेकिन जिस समाज में वह पली-बढ़ी थी, वहीं उसकी मदद को हाथ बढ़ाने से पहले डरा-सहमा रह गया। पड़ोसियों की देरी ने उसकी हालत और गंभीर बना दी।

हालांकि आग बुझाई गई और गीता को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन शरीर पर गहरे जख्म और समय पर इलाज न मिल पाने की वजह से वह बच नहीं पाई। उसकी अंतिम सांसों में, वह अपनी मां से बोली, “मां, दादाजी मुझे बुला रहे हैं।”

शिक्षा और संदेश

गीता की यह दुखद कहानी हमारे समाज के उस सच को उजागर करती है, जहां अक्सर भय और असंवेदनशीलता मानवीय मदद को पीछे धकेल देते हैं। अगर गीता को समय पर मदद मिलती, तो शायद उसकी जान बचाई जा सकती थी।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि आपातकाल में किसी की मदद करने में एक पल की भी देरी नहीं करनी चाहिए। कभी-कभी हमारी छोटी-सी सहायता किसी के जीवन की उम्मीद बन सकती है। समय पर मदद का कोई विकल्प नहीं।



आप मेरी कहानी "जीत की सच्ची कहानी" पढ़कर इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं कि जीतने के लिए जज्बात का होना कितना जरूरी है.

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